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Pawanesh Thakurathi

Children Stories Comedy Drama

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Pawanesh Thakurathi

Children Stories Comedy Drama

सपने में चाँद पर

सपने में चाँद पर

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मैं पहुँचा चाँद पर, 

एक दिन सपने में। 

देख वहाँ की लीला, 

रह गया राम-राम जपने में। 


अजीब लोग थे वहाँ के, 

जैसे हों आदिमानव। 

खूंखार दिखते ऐसे, 

जैसे भयानक दानव।


भाषा उनकी लगती, 

चाइनीज या जापानी। 

उड़ जाती सिर के ऊपर, 

आ जाती याद नानी।


तन ढका उनका, 

पेड़ों की छालों से। 

देह ढकी पूरी, 

लंबे-लंबे बालों से। 


खा रहे थे फल, 

वो लाल टमाटर से। 

छोटे-छोटे गोल, 

सभी बराबर से। 


मैंने कहा मुझको भी तुम, 

लाल टमाटर दे दो। 

पाँच रुपये पास हैं मेरे, 

इनको तुम ले लो। 


ऐसा कहते ही मेरे, 

उसने मारा एक तमाचा। 

दिख गये तारे मुझको, 

मैं गोल-गोल नाचा। 


खुली नींद तब मेरी, 

मैं उठ पड़ा बिस्तर से। 

देखा बाहर सूरज, 

उग चुका स्तर से।


मैं पहुँचा चाँद पर, 

एक दिन सपने में। 

देख वहाँ की लीला, 

रह गया राम-राम जपने में।। 


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