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Vikas Shahi

Romance

4  

Vikas Shahi

Romance

कोई अनजान सी

कोई अनजान सी

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सूने मन के कोने से, 

एक सादगी सी 

आवाज उठती है। 

एहसास के उस पल में, 

एक साथी की 

जरूरत तलाशती है।। 


कानों में एक संगीत सी, 

प्रेम की मधुर गीत 

कोई गुनगुना रही।

आँखों में एक प्यास सी, 

दूर खड़ी कोई 

मुझको ही निहार रही।। 


बांहों में एक सिहरन सी, 

पास आने की 

किसी की आस हो जैसे। 

पैरों में एक आहट सी, 

कदम किसी की 

मेरी ओर बढ़ रहे हो जैसे।


सूने मन के कोने से, 

एक सादगी सी 

आवाज उठती है। 

एहसास के उस पल में, 

एक साथी की 

जरूरत तलाशती है।। 


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