वक़्त का मैं नादान परिंदा...
वक़्त का मैं नादान परिंदा...
वक़्त का मैं नादान परिंदा
स्वछन्द नभ में उड़ता चलूँ...
सुध बुद्ध अपनी खोकर
पवन के संग बहता चलूँ...
प्रेम प्रीत की गीत संगीत
भौरों के संग गुनगुनाता चलूँ...
शीतल चांदनी की चमक
जुगनू संग फैलाता चलूँ...
नयी भोर की नयी किरण
पंछी संग जगाता चलूँ...
जीवन की अमृत धारा
मेघों संग बरसाता चलूँ...
खुशियों की अगण्य रहस्य
प्रकृति के संग बताता चलूँ...
वक़्त का मैं नादान परिंदा
स्वछन्द नभ में उड़ता चलूँ...