सूरज की पहली किरण सा माँ के आंचल के झरोके से झाँक ही जाता है,ये गुनगुनाता बचपन।। सूरज की पहली किरण सा माँ के आंचल के झरोके से झाँक ही जाता है,ये गुनगुनाता ...
बचपन हंसता- खेलता- गुनगुनाता है। बचपन हंसता- खेलता- गुनगुनाता है।
शीतल चांदनी की चमक जुगनू संग फैलाता चलूँ.. शीतल चांदनी की चमक जुगनू संग फैलाता चलूँ..
मैं हर सुबह, दोस्तों से मिल आता हूं, अपनी पुरानी यादें ताजा कर आता हूं। मैं हर सुबह, दोस्तों से मिल आता हूं, अपनी पुरानी यादें ताजा कर आता हूं।