कब से कुछ लिखने का सोच रहा हूँ चाह कर भी कुछ लिख नहीं पा रहा हूँ कब से कुछ लिखने का सोच रहा हूँ चाह कर भी कुछ लिख नहीं पा रहा हूँ
कुछ गद्दारों की फ़ौज खड़ी कर हमें हैं वो ललकार रहे, पर हम भी तो बुजदिल ही निकले जो महज कुछ गद्दारों की फ़ौज खड़ी कर हमें हैं वो ललकार रहे, पर हम भी तो बुजदिल ही नि...
बचपन हंसता- खेलता- गुनगुनाता है। बचपन हंसता- खेलता- गुनगुनाता है।
मेरी दिल से दुआ है आप पहले की तरह मुस्कुराने लगे। मेरी दिल से दुआ है आप पहले की तरह मुस्कुराने लगे।
ऐसी कल्पनाएं कौन कौन करता है भला कभी बैठो सोचो ऐसी कल्पनाएं कौन कौन करता है भला कभी बैठो सोचो