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Uncle Sam

Tragedy

3  

Uncle Sam

Tragedy

व्यथा

व्यथा

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कब से कुछ लिखने की सोच रहा हूँ

चाह कर भी कुछ लिख नहीं पा रहा हूँ


सुबह से लेकर रात तक ऑफिस ऑफिस ऑफिस

इस काम के दलदल में फंसा जा रहा हूँ


मेरी भी कुछ ख़्वाहिशें हैं जो अधूरी हैं अबतक

सोच सोच के परेशान हुआ जा रहा हूँ


किसे समझाऊँ किसे मनाऊं अपनी हालत किसे दिखाऊँ

कहीं घेर न ले मुझे निराशा पागलों की तरह हँसता जा रहा हूँ


है काम ज़रूरी समझता हूँ मैं भी बिना बताये

ज़रूरी है मेरा खुद का होना यह बात क्यों कोई समझ न पाए।


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