आज उन रास्तों पर मैं अकेला ही खड़ा हूँ आज उन रास्तों पर मैं अकेला ही खड़ा हूँ
कल्पनाओं में तुझे निहारूँ बहकता फिरूँ गली-गली कल्पनाओं में तुझे निहारूँ बहकता फिरूँ गली-गली
प्रकृति का खेल हो सकता है, जो कमाल सा लगता है.. प्रकृति का खेल हो सकता है, जो कमाल सा लगता है..
तुलसी के नन्हे बिरवे -सा, नाजुक पवित्र तुलसी के नन्हे बिरवे -सा, नाजुक पवित्र
ह चंचल मचलता सीमाएं तोड़ता उड़ता ही रहता है ह चंचल मचलता सीमाएं तोड़ता उड़ता ही रहता है
बिन पंखों के मन का पंछी, फलक तक उड़ता रहा। बिन पंखों के मन का पंछी, फलक तक उड़ता रहा।