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ख़ाक .

Romance

4.8  

ख़ाक .

Romance

रास्ते

रास्ते

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जिन रास्तों पर साथ चलने की

कसमें खाई थी हमने 

आज उन रास्तों पर मैं

अकेला ही खड़ा हूँ 


तू साथ थी जब तक,

उड़ता था मैं परिंदों की तरह 

आज देख मैं सर से पाँव तक

ज़मीन में गड़ा हूँ


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