STORYMIRROR

ख़ाक .

Abstract

2  

ख़ाक .

Abstract

हर्फ़-दर-हर्फ़

हर्फ़-दर-हर्फ़

1 min
376

हर्फ़-दर-हर्फ़

तेरा नाम अपने

दिल पर लिखता रहा 


मेरी माँ के लिए

तो मैं अनमोल था,


तेरे लिए

मैं कौड़ियों के

दाम बिकता रहा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract