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ख़ाक .

Romance

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ख़ाक .

Romance

ऐसे जीना भी कोई जीना नहीं है

ऐसे जीना भी कोई जीना नहीं है

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मैं कहता था उससे,

के तेरे बिन मैं नहीं जी पाऊँगा 

वो कहती थी,

कोई किसी के बगैर मरता नहीं है,


हाँ वैसे तो आज बेशक

मैं ज़िंदा हूँ उसके जाने के बाद 

पर कोई उसे ये भी बताए की

ऐसे जीना भी कोई जीना नहीं है.. 


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