ख़ज़ाना!
ख़ज़ाना!
ख़ज़ाने कई ढूंढे हैं मैने,
ढूंढे हैं हमने कई मंज़िले।
आज मैं कुछ हूं तो कल कुछ और,
आज मेरा कुछ है तो कल कुछ नहीं।
कभी लगा के मेरे नसीब कुछ नहीं,
और कभी लगा के कोई मेरे नसीब नहीं।
ख़्वाबों का फ़रिश्ता कभी यूं ही नहीं आता,
उम्र लग जाती है उसे पाने में,
और कभी उम्र भर भी नहीं आता।
शायद तुम जो चाहते हो वह बस एक माया है,
शायद ख़ज़ाना वहीं है जहां तुमने कभी देखा ही नहीं।
अंधेर भी सीख देती है,
अंधेरे लम्हों का हर एक क्षण,
जैसे खुशी को और उज्ज्वल करदे,
रोशनी रोशनी तभी कहलाती है
जब अंधेर से उसकी तुलना होती।
तुम प्यार नहीं हो मेरा,
क्योंकि प्यार तो बस एक जज़्बात है।
तुम हो मेरी वह खोई हुई पहचान,
जो किसी ख़ज़ाने से कम नहीं।
खजाना तुम्हे ज़रूर मिलेगा,
लेकिन वहां ढूंढो तो सही,
जहां कभी ढूंढ़ा ही नहीं।