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Govind Narayan Sharma

Romance

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Govind Narayan Sharma

Romance

फ़ितरत

फ़ितरत

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मलाल हैं बदलती फ़ितरत पर रंज थोड़ी है !

वो गयी रुठकर मगर ठहरने वाली थोड़ी हैं !


आँखे सूर्ख हैं मगर रोयी नही याद में उसकी, 

शब में रकीब से इश्क फरमाना गुनाह थोड़ी है !


ग़मज़दा नही उस बेवफा के बेवजह जाने से,

हबीब तेरे आगोश में इश्क बेपनाह थोड़ी हैं !


मर न जाएंगे डूबकर गम में उसके भला हम,

बिताये शब रकीब संग हरजाई पाक थोड़ी है !


उछाले कीचड़ औरों पे वो पाक दामन थोड़ी हैं ! 

ग़र राह में मयखाना गुनहगार गोविन्द थोड़ी हैं !


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