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Karan Sahar

Romance

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Karan Sahar

Romance

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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फिर उनसे दिल लगा कर देखते हैं

नए रिश्ते बना कर देखते हैं


बड़ा ज़रख़ेज़ है दामन तुम्हारा

कोई आँसू गिरा कर देखते हैं


ये किसके नूर से रोशन है कमरा

चराग़ों को बुझा कर देखते हैं


नए तो कुछ नहीं लगते कि जब हम

पुराने ग़म उठा कर देखते हैं


ग़ज़ल में कुछ कमी सी लग रही है

तुम्हें शेरों में ला कर देखते हैं


वही हमको रुलाना चाहता है

जिसे हम मुस्कुरा कर देखते हैं।


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