STORYMIRROR

bhandari lokesh

Romance

4  

bhandari lokesh

Romance

सेन्ज़ना

सेन्ज़ना

1 min
235

कल तलक़ जो बात नहीं थी

आज रात वो याद रही थी।

आहट में हर सन्नाटे की

उसकी ही आवाज़ रही थी।

यूँ तो मैं था तन्हा तन्हा

तड़प रहा था हर एक लम्हा

फिर भी इन गहरी रातों में

दुनिया मेरी आबाद रही थी।

आज रात वो याद रही थी

पलक झपकते ख़्वाबों में

वो रिमझिम करती आई थी

राहों में नज़र बिछाकर हमने

अपनी बाहें फैलाईं थी

वो गले लगी तो रोई थी

शायद यादों में खोई थी

यही कहानी थी अन्जानी

कैसी अंतिम मुलाक़ात रही थी।

कैसे थे जिन्दा सेनो~ज़ाना

कैसी दोनों की हयात रही थी

आहट में हर सन्नाटे की

बस इतनी सी आवाज़ रही थी

आज रात वो याद रही थी।


এই বিষয়বস্তু রেট
প্রবেশ করুন

Similar hindi poem from Romance