सुकून
सुकून
पा लेने की चाहत थी कहीं
जज्बातों एहसासों का समंदर था कहीं
इंतजार का लंबा कारवां था कहीं
धुंधले गुजरे लम्हों में दफ्न
वो खुशनुमा यादें थी कहीं
वो अंगड़ाई लेती शामों में
तुम्हारा ही जिक्र था कहीं
हर दुआओं में
तुम्हारी ही झलक थी कहीं
उन वक्त को संजोए
दिल में ठहराव था कहीं
साथ नहीं तुम पर
आंखों में 'सुकून' बनकर रहते हो तुम्हीं!!!

