गुलाबों वाला गजरा......
गुलाबों वाला गजरा......
बिंदिया , काजल , पायल और
उसका दिया सुंदर गुलाबों वाला गजरा
इक प्यारा एहसास मन की किवाड़ खोल
ठंडी ठंडी बयारों संग झूमना, गुनगुनाना चाह रही
कुछ धुंधलाये लम्हों के पन्ने पलटना चाह रही
सर्द जाड़े की धूप की गरमाहट सा
उसके प्यार की तपिश महसूस करना
छांव बन संग पतझड़ में रंग भरना
फूलों की बगिया में मिलना
साथ बैठ मुस्कुराना खिलखिलाना
उसका गुलाबों वाला गजरा लाना
प्यार से मेरे केशों में लगाना
इक दूजे की आंखों में बस जाना
शायद छोटे छोटे अनमोल पलों से
प्यार गहराता चला गया
ना जाने कितने जज्बात जी उठे
कितने लम्हे पलकों पे उतर आए
इन्हीं यादों को समेट लेना चाह रही
खूबसूरत ख्यालों में खो जाना चाह रही
आज फिर बिंदिया , काजल , पायल और
गुलाबों वाले गजरे से खुद को
संवारना चाह रही निहारना चाह रही....स्वाती

