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Dr.Madhu Andhiwal

Romance

4  

Dr.Madhu Andhiwal

Romance

अभिभूत

अभिभूत

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मै अभिभूत थी तेरे प्यार में,

सोचती थी इसे कहां संजोऊ

रखूं दिल की किस तिजोरी में,

कैसे बचाऊं सबकी नज़रों से,

दिन पर दिन निखर ,

रही थी तेरे प्यार में ,

सोचती थी कैसे करूं इजहार,

डरती थी दुनिया की निगाहों से,

चाहती थी छुपा लो ,

एक नन्ही चिड़ियाँ की तरह

मुझे बांध लो उन मजबूत हाथों में ,

अफसोस तुम तो यूँ ही चले गये ,

जैसे भोर के आगमन ,

पर चांद चला जाता है,

छोड़ जाता है याद भरा सपना ,

जो याद आता सांसो की लय पर......


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