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Dr.Madhu Andhiwal

Others

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Dr.Madhu Andhiwal

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मातृत्व

मातृत्व

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मैं ढूँढ रही थी उन किताबों के बीच,

लिखे वह कागज जिन पर 

लफ्जों को तुमने उकेरा था,

मैं थी तुम्हारे चांद की चांदनी,

क्योंकि चांदनी रात में,

तुम्हीं तो लिखते थे,

मैं थी तुम्हारी जूही की कली,

जो तुम्हारे जीवन को महका रही थी,

पर फिर क्या हुआ,

क्या मेरा सौन्दर्य मातृत्व में डूब गया,

इसलिये नहीं उतर पा रही थी,

तुम्हारी आशाओं पर,

नहीं दे पा रही थी संग तुम्हारी करवटों को,

नहीं बढ़ा पा रही थी बिस्तरों की सलवटें,

अब मुझे अच्छी लगी नन्ही बांहों की छुअन,

मैं सन्तुष्ट थी उसके गीले बिछौने के साथ,

पर फिर भी देखती थी तुम्हारी तरफ,

शायद तुम भी महसूस करो,

उन उल्लासित पलों को पर,

तुमको तो चाहिए तुम्हारे शरीर से लिपटी,

एक मदहोश करने वाली लता,

जो तुमको दे पाये एक शारीरिक सुकून,

कभी महसूस करना और आना मेरे पहलू में,

मिलेगा एक मातृत्व भरा स्त्रीत्व.....


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