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Dr.Madhu Andhiwal

Inspirational

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Dr.Madhu Andhiwal

Inspirational

अभिलाषा

अभिलाषा

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उम्र के इस पड़ाव पर आकर,

क्या कोई अधिकार नहीं जीने का,

सारी उम्र दबाती रही,

भावनाओं को नहीं थी कोई

वाह वाह सुनने की उत्सुकता,

बस रहती है एक आशा,

कोई तो आकर सुने उसकी भी दास्ताँ ,

दोहराना चाहती है वह कथायें,

जो बीतती थी उसके साथ,

दबाती रहती थी अपने उद्गार

उम्र के इस ढलाव पर ,

बैठी रहती है सूनी आंखों में

लेकर कुछ झिलमिलाते अश्रु बिन्दुओं को,

कितने वसंत दबा दिये ,

पर परिवार को पतझड़ ना होने दिया,

अब सब कुछ भुला कर,

शान्त हो जाती अभिलाषा....



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