जिंदगी के तजुर्बे, साझा जब भी करती जिंदगी के तजुर्बे, साझा जब भी करती
बस रहती है एक आशा, कोई तो आकर सुने उसकी भी दास्ताँ बस रहती है एक आशा, कोई तो आकर सुने उसकी भी दास्ताँ