STORYMIRROR

Karan Sahar

Tragedy

4  

Karan Sahar

Tragedy

दरिंदगी

दरिंदगी

2 mins
910

आख़िर कौन है

जो अपने ही बगीचे की कलियों को

इस कदर मसल रहा है,

आख़िर कौन है

जो इंसानियत को हैवानियत में

बदल रहा है


आख़िर कौन है

कि जिसकी रूह में

भावनाओं का लिबास नहीं है,

आख़िर कौन है

कि जो ऐसी दरिंदगी देख कर

उदास नहीं है


हम ही तो हैं,

हम ही तो हैं

कि जिस के साथ हैवानों ने

बेख़ौफ़ हो कर अत्त्याचार

किया है,

और हम ही तो हैं

कि जिसने निर्भया, आसिफ़ा

और न जाने किस किस का

बलात्कार किया है


हम ही तो हैं

कल जो सड़कों पर उतर आए थे

निर्भया के न्याय के लिए,

और हम ही तो हैं

जो आज फिर से जिम्मेदार हैं

एक नए अन्याय के लिए


हम ही में से तो कुछ लोगों ने

पिछली बार उस घटना पर

शोक मनाया था

और हम ही तो हैं

जिसने उसी घटना को कल

रात फिर से दोहराया था


हम ही तो हैं

जिसने कल कहा था

कि किसने ये घिनौना काम किया है,

और हम ही तो हैं

जिसने आज फिर

उसी हरकत को अंजाम दिया है


हम ही तो हैं

जो इस अपराध के खिलाफ

सरकारों पर टूट रहे हैं,

हम ही तो हैं

जो सरकारें बन कर

इन मासूम बच्चियों की

इज़्ज़त लुट रहे हैं


हम ही तो हैं

किसी के हवस का शिकार भी

और हम ही तो हैं

इसकी सज़ा के हक़दार भी


वो सब जो ज़िम्मेदार हैं ऐसी

अमानवीयता के

वो कौन हैं, कौन सी दुनिया

से आए हैं,

आखिर वो भी तो हम ही हैं

हम जैसे ही बदन हम जैसे

ही साए हैं


आज जो हम लोग

बेटी बचाओ के नारे लगाने को

अपने घरों से निकल जाते हैं

कल हम ही में से कुछ लोग

अपनी मासूम 

बहू, बेटियों को निगल जाते हैं


हम, हाँ वो सब हम ही हैं

ये अत्याचार कर भी हम ही रहे हैं

और इसका बुरा अंजाम

भर भी हम ही रही हैं


किसी और को दोष दे तो देंगे

और उस मासूम का इंसाफ

भी हो जाएगा,

मगर कितनी बार और

ये वक्त इसी घटना को

दोहराएगा


सिर्फ उन दरिंदों को फाँसी

लग जाने से

इस मसले का हल नहीं होगा,

क्या गारंटी है कि इस के बाद

ये सब कुछ फिर से कल नहीं होगा


अगर सच में न्याय चाहिए ना

तो एक काम करते हैं,

उन दरिंदों के साथ साथ

उस सूली पर, हम भी चढ़ते हैं


मार डालते हैं, झूठे अहंकार को,

ख़त्म कर देते हैं, गहरे अंधकार को,

अपनी सोच में छिपे दानव को

इक ज्वाला में भस्म करते हैं

उस दरिंदों के साथ साथ

उस सूली पर हम भी चढ़ते हैं


आज इस "हम" को मार डालते हैं

ताकि न तो हवस की रूह रहे

न दरिंदगी का कोई माँस रहे,

फिर एक नए हम को जन्म देंगे

कि जिस पर इन बेटियों का विश्वास रहे..



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy