कसक प्रेम की
कसक प्रेम की
कसक कोई अगर मै मैंने किसी से अपने दिल की कहीं होती।
तो कसक कोई दिल में मेरे ना रही होतीl
कहने और ना कहने की जो कसक है वह दिल में ही ना होती।
कदाचित यह कसक मेरी कभी किसी से और किसी ने सही होती।
अनकही सब भावनाएं कहीं फिर सही होतीl
कहीं जो किसी से कुछ भी मैंने जो बातें वह कहानी फिर नहीं होती।
कहकर भी कसक दिल की कहानी अगर जो पूरी हो जाती तो
आज यह कसक कविता में नहीं कहीं होती।
कसक जो ना होती तुम में सुनने की तो मुझ में
कहाँ मुझ में कहने की कसक नहीं होती।
कसक जो यह पहले हो जाती तुओ मेरी कसक कम तो हो जाती।
कसक प्रेम की यह मेरी कहानी तो कुछ काम होजातीl