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Sitaram Budhibaman Behera

Romance

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Sitaram Budhibaman Behera

Romance

"फिर से मिलते हैं "

"फिर से मिलते हैं "

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आओ हम तुम

एक खता करते हैं

अब की सावन मे

फिर से मिलते हैं  !!


तुम मेरे से मिलने

ऐसे ही आना

मैं तुम से मिलने

वैसे ही आऊं

जैसे कोई जोड़ा

नए मिलते हैं !!


ना होंगे दुनियां के

कोई भी फिकर

ना होगा कोई

बदनामी के डर

बस,

मिलने की एक

जूनून ले कर

रिम झिम सावन मे

फिर से भीगते हैं

आओ हम तुम... ¡¡


अब की वार

ना तुम कोई शिकायत करोगी

ना मैंने कोई शिकवा करूँगा

तुम्हारी शुर्ख आँखों मे

अनोखी सी लालिमा के बल

मेरे चमकते आँखों मे

अजीब सा

चाहत होंगे के बल

चाहत की 

इस नई रंगत मे

आज की शाम

रंगीन करते है

आओ हम तुम... !!


झूठ मुठ 

तुम रूठते रहना

मैं सचमुच

मनाते रहूँ

तुम मुस्कुराना फिर अचानक

मैं फिर

तुम से लिपट जाऊं

इन्ही पलों को दिल मैं

कैद करते है

आओ हम तुम... !!


समुन्दर के किनारे

आओ चलते हैं

सुनहरे रेतो मे

खूब खेलते है

चाँद चौकरी को

याद कर के

चाँद की उस भीगी 

रौशनी मे

खूब नाहते है

आओ हम तुम... !!


इन सारे

लहमो को

अपनी दामन मे

सिमट कर

अपने अपने

घर चलते है

फिर तुम ना रहो

या हम ना रहे

उन पलों जीने का

सहारा करते हैं

आओ हम तुम... !!


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