"है मुरलीधर "
"है मुरलीधर "
1 min
286
मन मीत तुम्हारे
प्यार मे पागल
कैसे हुआ
यह ना जाना
तन मन तुमपर
अर्पण कर के
खुद को धन्य
ही माना !!
यह मन चंचल
आशा हिमालय
स्वाभाव है
भटकना
इस संसार मे
मृगजल संग
हर पल होबे
सामना
फिर भी मुरलीधर
इसारे इसारे पर
मोहजाल से
बचाना !!
आते जाते साँसो मे
हरपल
मनमोहन बसे रहना
ऐसे मन को मोह लेना
आप ने
ना करूँ कोई भावना
प्रीतम अपनी
प्रीत मे डुबो के
हम से मुँह
ना मोड़ना !!
यह जो है मेरी
जीवन दीपक
तुम ही जलाये
रखना
अमा आंधीयारा
या घना कोहरा
साथ साथ प्रभो चलना
अंत समय
फिर हिसाब कर के
यह प्राण ले जाना
छोटी सी अरज
सुनना !!
