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Sitaram Budhibaman Behera

Tragedy

4  

Sitaram Budhibaman Behera

Tragedy

खुनी कौन

खुनी कौन

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डरते नहीं जो खुदा से

वह इंसानों से क्यूँ डरे

जो खुद को

खुदा समझ बैठें है

आज

सिबाय तवाही के

और क्या करें ?


दूसरों के आशियाँ

जला जला के

जो खुद को

रोशन करते है

उन से उम्मीदों के

ख्वाहिसें

और क्या करें ?


सारे इंसानियत के

हत्या कर के

एक एक बून्द लहू

पी जाते हैं जो

इतिहास के पन्ने को

हमेशा खून से

लिख जाते हैं जो

उन दरिंदो से

आज हम

शांति के उम्मीद

कैसे करें ?


पानी के बदले

प्यासे को

लहू पिलाते हैं जो

ताज़ी ताजी हवा को

हमेशा वारुद मे 

भर जाते हैं जो

पल भर मे

गाँव सहरों को

शमसान

बना देते हैँ जो

ऐसे बे रहमों से

रहमों के उम्मीद

कैसे करें ?


शांति के दुहाई

दे दे कर आज

सारे जाहाँ को

आग के लपेटों मे

झोंक देते हैं जो

रक्षकों के नाकाव

पहन पहन कर

इन्सानियत के

हत्यारे

बन जाते हैँ जो,

"सोचियेगा जरूर

ए जग वालों ;"

ऐसे हत्यारों से

बचने की उपाय

हम कैसे करें ?


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