"शिव "
"शिव "


आहत से अनाहत तक
सृष्टि से प्रलयानल तक
अमृत बगैर 'गरल ' आकांठ तक
जो पी जाए
वह शिव है ||
पाताल से स्वर्ग लोग तक
भू मण्डल से अनत ब्रह्माण्ड तक
ब्रह्मा विष्णु जिन की अस्तित्व को
भाप ना पाए
वह शिव है ||
प्रीत से पागल पना तक
पति के पद मर्यादा से आक्रोश तक
दक्ष यज्ञ में
पत्नी के आहुति ना सह कर
जो विरभद्र बन जाए
वह शिव है ||
डंबरू से पखौज तक
नट से नटराज तक
नाट्य गंधार से धैवत तक
नाद ब्रह्म को भेद कर
जो तांडव कर जाए
वह शिव है ||
दूध से बिल्व पत्र तक
केतकी फूलों से धतूर तक
भक्तों के अभिलाषा पूर्ति के लिए
जो स्मित हास्य से
ग्रहण कर जाए
वह शिव है ||