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Sitaram Budhibaman Behera

Abstract

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Sitaram Budhibaman Behera

Abstract

"शिव "

"शिव "

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आहत से अनाहत तक

सृष्टि से प्रलयानल तक

अमृत बगैर 'गरल ' आकांठ तक

जो पी जाए

वह शिव है ||


पाताल से स्वर्ग लोग तक

भू मण्डल से अनत ब्रह्माण्ड तक

ब्रह्मा विष्णु जिन की अस्तित्व को 

भाप ना पाए

वह शिव है ||


प्रीत से पागल पना तक

पति के पद मर्यादा से आक्रोश तक

दक्ष यज्ञ में 

पत्नी के आहुति ना सह कर

जो विरभद्र बन जाए

वह शिव है ||


डंबरू से पखौज तक

नट से नटराज तक

नाट्य गंधार से धैवत तक

नाद ब्रह्म को भेद कर

जो तांडव कर जाए

वह शिव है ||


दूध से बिल्व पत्र तक

केतकी फूलों से धतूर तक

भक्तों के अभिलाषा पूर्ति के लिए

जो स्मित हास्य से

ग्रहण कर जाए

वह शिव है ||


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