मेरा देश जलता रहा
मेरा देश जलता रहा
आरोप प्रत्यारोप के दौर
चलता रहा
किसी ना किसी बहाने
मेरा देश जलता रहा !!
कभी कभी मासूम किसानों
तो कभी,
छात्रों के आक्रोश
यह धरती माता
सहता रहा
किसी ना किसी बहाने
मेरा देश जलता रहा !!
कश्मीर कश्मीरीयत के हत्याएँ
सालो सालो चलता रहा
जब फिर से सजाने संवारने की
वारी आई
तो चंद खुदगर्जियों के
सीने में
बदले की आग जलता रहा
किसी ना किसी बहाने
मेरा देश जलता रहा !!
कभी साहिनी बाग के
गलियारों में
चिंगारियों को हवा
मिलता रहा
फिर कभी,
सिंगरूर के सड़कें पर
देशी परदेशी घी
गिरता रहा
किसी ना किसी बहाने
मेरा देश जलता रहा !
बंगाल के खाड़ी में
राजनीति की ऐसी आग लगी
कितनी तो,
अपनी ही घरों में ही
जिन्दा झुलस गये
दरिंदगी के वः मंजर
सारा जहाँ देखता रहा
किसी ना किसी बहाने
मेरा देश जलता रहा !!
फिर, हद पार कर दी
कुछ, धर्मों के
ठेकेदारों ने
बहना बना के धर्म की
अवमानना का
ईंट पत्थर लाठी
लापलप चलाता रहा
किसी ना किसी बहाने
मेरा देश जलता रहा !!
देश रक्षा की मोह ममता
नौजवानों के रक्त में हैं
फिर भी,
ना समझ के
इस नाजुक क्षणों में
कुछ मौका परस्तों ने
उन युवाओं से
आग जनी करवाता रहा
किसी ना किसी बहाने
मेरा देश जलता रहा !!
हो सन सतचालिश के
बटवारे समय
या,
कारगिल की
तीखी चोटी में लड़ाई
या फिर, छब्बीस ग्यारह
मुंबई धमाका
इसी में,
वीर सैनिकों के
बलिदान के साथ साथ
आम नागरिकों के
हत्याएँ चलता रहा
किसी ना किसी बहाने
मेरा देश जलता रहा !!
हो स्वदेशी या पर देशी
जो, इन उन्मादियों के
आका हैं
उन सभीयों के
ऐसा बदहाल करना
अगर हम
देश के सिपाही
पक्का हैं
आओ मिल कर
अपनी देश संवारें
जो,
किसी ना किसी बहाने
जलता रहा, जलता रहा जलता रहा...!!