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ब्राह्मण सुधांशु

Romance

4  

ब्राह्मण सुधांशु

Romance

मेरी मोटो

मेरी मोटो

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वो खुद भी हंसती है! 

मुझे भी हंसाती है!! 


प्यार से भी प्यारी वो!

मुझे बहुत पसंद आती हैं!!


बोली मे उसकी चाशनी! 

आंखो मे गहरी झील है!! 


कमर अपनी वो मटकाए! 

बाल उसके काली घटाएँ!! 


जादू है उसकी अदाओं मे! 

मै दिल उसे दे बैठा हूँ!! 


भालू सी है मोटो मेरी! 

मासूमियत देख मै खो बैठा हूँ!! 


लड़ती है दिन रात मुझसे! 

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अजब ही प्यार जताती है!! 


मुझे बहुत ज्यादा सताती है! 

रात दिन बस तड़पाती है!! 


पास होते हुए भी! 

मै तुझसे दूर हूं!! 


जताना चाहता हूं प्यार तुझे! 

मगर हालातों के आगे मजबूर हूं!! 


देना चाहता हूं हर वो खुशी! 

जो तुम मुझसे चाहती हो!! 



मांग कर देखो जान मेरी! 

तुम मुझसे क्यूँ शर्माती हो!! 



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