तुझे भूलना मुमकिन नहीं
तुझे भूलना मुमकिन नहीं
मुमकिन नहीं तेरी यादों को मिटाना
मुमकिन नहीं दिल से तुझे भुलाना।
सब कहते हैं जीवन मेरा खाली - खाली हैं
सब कहते हैं तुझे पढ़ना मेरा बे ख्याली है
क्या अपने सपनों को छोड़ भाग निकलूं
क्या दूसरों की बातें मान तुझसे मुंह फ़े रलूं।
तुम मेरा धड़कन भी हो
तुम मेरा जीवन भी हो
तुम मेरा चांद भी हो
तुम मेरा दाग़ भी हो।
तुम मेरा जंगल भी हो
तुम मेरा शहर भी हो
तुम मेरा नदी भी हो।
तो फिर क्यों न मैं समंदर बन जाऊं
अपनी नदी को खुद में मिला जाऊं
इस तथाकथित समाज को ठेंगा दिखाकर
मस्तमौला इश्क में मदहोश होकर
सागर सा नीला हो जाऊं।
उस नीलकंठ के कंठ का शोभा हो जाऊं
शिव का भक्त बन मस्तमौला हो जाऊं
हमारी रक्षा तथाकथित समाज से
वह नीलकंठ कर देगा।
अनगिनत कलंक को अपने प्रकोप से भस्म कर देगा
अरे यह चांद भी उस नीलकंठ कि सिर की शोभा है
फिर अगर तुम मेरी चांद हो तो भला डर किस बात की है
अनगिनत ब्रह्मांड , तारें , नक्षत्रों का जो स्वामी है।
तो फ़िर किसी के बाप का औकात नहीं
जो हमारी कुंडली बदल देगा
हमारे ग्रहों नक्षत्रों को किसी घर से
किसी घर में ज़बरन ढकेल देगा।
सारे ग्रह नक्षत्र सब एक ही दिशा में होंगे
जिस घर में कामदेव उपस्थित रहे होंगे
तुम्हारे चेहरे पर यह दाग़ कलंक के नहीं है
यह दाग़ तो अनेक विरह में बीती रातों की छाया है।
तब भी प्रिय यह दाग़ अच्छे हैं
किसी के बेरुख़ी नजरों से बचने का जरिया है
तुम्हारे ऊपर यह एक काजल का टीका है।
यह मोहब्बत वाली दाग़ भी एकदम सही है
तथाकथित समाज को दर्पण दिखाने के लिए जरूरी है
मैं तुम्हारा काजल हूं, काजल ही रहूंगा
ऐसे ही तुझे हरेक बुरी नजर से बचाता रहूंगा।
ओ मेरी प्रेयसी तुम सबसे प्यारी हो
मोहब्बत वाली शहर की गली में रहने वाली
हरेक प्रेयसी में सबसे न्यारी हो !
मुमकिन नहीं तेरी यादों को मिटाना
मुमकिन नहीं दिल से तुझे भुलाना।

