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Kumar Pranesh

Romance

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Kumar Pranesh

Romance

आज भी है

आज भी है

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इन आँखों में आँसुओं की तासीर आज भी है,

ये तन्हा तेरे राह का राहगीर आज भी है,

तु मीटा दे हर यादों को पर जान ले यह,

मेरे दिल पे तेरी ज़ागीर आज भी है !


कतरा कतरा में ही जीते रहे,

कतरा कतरा अश़्क पीते रहे,

हर कतरे मे तेरी झलक आज भी है,

इन हवाओं में तेरी महक आज भी है !


न जमीं आसमां में कुछ भी मेरा,

न श़ाम आज की न कल का सबेरा,

पर हर पल में तेरी चहल आज भी है,

तेरी बेरूखी से दिल विकल आज भी है !


धड़कन का जब दिल से हीं बगावत हो,

पुरी कैसे मेरी अब इबादत हो,

पर तु मेरी बन्दगी में आज भी है,

तु ही तु मेरी जिन्दगी में आज भी है !


लब्ज खामोश दिल भी रोष में है,

ये आँखे अश़्कों के आगोश मे है,

हर आहट पे मेरी चौंकती नज़र आज भी है,

जर्रे जर्रे मे तुझे ढ़ुंढ़ती नज़र आज भी है !


दर्द अब लांघ चुकी हर सीमायें,

अब तो बस संदल चाहे ये बाँहें,

इन बाँहों में तेरे टुटने की कहक आज भी है,

दिल के आँगन में तेरे पाजेब की खनक आज भी है !


"मै" मीटे "हम" बने बस तेरा साथ रहे,

कब तलक यूँ ही मन निर्वात रहे,

तेरे बीन अधुरेपन का एहसास आज भी है,

तुझे पा कर मुकम्मल होने की आश आज भी है !


ज़ख्म जब ज़ख्म से ही द्वेष करे,

ऐसे में भला क्या प्राणेश करे,

हर जख्म पे तेरे प्यार की मलहम आज भी है,

तेरी याद में लिखती मेरी कलम आज भी है !


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