एक याचना माँ अम्बे से!
एक याचना माँ अम्बे से!
गूंज रही है धरती अम्बर,
माँ तेरे जयकारों से,
जय माँ अम्बे जय जगदम्बे,
माँ तेरे जयकारों से,
उन घरों की दशा पे माँ,
आँखें अश्रु भर देती है,
जहाँ खामोशी फैली है,
पल पल के चित्कारों से !
लहुलुहान भारत की धरती,
उन बेटों के रक्तों से,
'उरी' की मिट्टी ने मांगी,
बलिदान जब भक्तों से,
मइया मोरी इस बार तु मुझको,
इतना सा बर बस दे देना,
अपने सारे अश्त्र शस्त्र,
माँ मुझको तु दे देना !
बहुत हो गयी धैर्य की बातें,
अब न कोइ संवाद करूं,
माँ तेरे हाथों के शंखों से,
युद्ध का अब मै नाद करूं,
दे दो माँ त्रिशुल गदा और,
हर शस्त्रों की धार मुझे,
दुश्मनों को रौंद के रख दूं,
दे दे माँ तलवार मुझे !
माँ दे दे तु चक्र सुदर्शन,
नर मुंडों का हार करूं,
खडग खपर लेकर मै तुझसे,
रक्तबिजों का संहार करूं,
बुरी नजर की हर एक आँखें,
जिनकी हिन्दुस्तान पे है,
दे दे माँ तू धनुष मुझे कि,
लक्ष्य हर तीर कमान पे है !
रौद्र रूप ले लूं मैं बस तू,
दे बल अष्ठ भुजाओं का,
मांग न सुनी हो किसी की,
गोद न उजड़े माओं की,
तेरे चरणों में माता अब,
ऐसे ही प्राणेश रहे,
माँ भारती की सेवा हो,
जब तक तन में रक्त शेष रहे !