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Kumar Pranesh

Romance

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Kumar Pranesh

Romance

तुम बिना बेरंग होली है !

तुम बिना बेरंग होली है !

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तरस तरस नैना नीर बहाये,

पीर प्रीत की जाये ना,

तेरे दरश को मन हो आकुल,

रंग गुलाल कुछ भाये ना,

आकर मेरे गीत में ढ़ल जा,

सुना जा जो मीठी बोली है,

आ जाओ हर रंग निखर जाये,

तुम बिन बेरंग होली है !


प्रेम रंग से रंग जाये तन,

रंग जायेगा रूप सलोना,

दूजा रंग ना चढ. पायेगा,

रंग जायगाे मन का हर कोना,

एक तम्मना गुलालों की यह,

की रंग दे जो सुरत भोली है,

आ जाओ हर रंग निखर जाये,

तुम बिन बेरंग होली है !


आ जाती थी तब तुम भागी,

सुनते हीं हर गीत मेरा,

धड़कन दिल से प्रश्न पुछती,

कब आयेगी मीत तेरा,

भाव भावना नीरूत्तर हो गइ,

बिखरी दिल की टोली है,

आ जाओ हर रंग निखर जाये,

तुम बिन बेरंग होली है !


जल रहा मन होलीका संग,

अभिशाप यह दूरी है,

लौ से बाती मिल नहीं पाये,

यह कैसी मजबूरी है,

मन गगन बन बरसना चाहे,

कहाँ मेरी हमजोली है,

आ जाओ हर रंग निखर जाये,

तुम बिन बेरंग होली है !


तुम बन जाओ रंग गुलाबी,

मै पानी का धार बनूँ,

एक दूजे मे घुल जाये हम तुम,

तू गीत मैं सार बनूू,

रंग उमंग की इस मेला में,

खुशियाँ संग आँख मिचोली है,

आ जाओ हर रंग निखर जाये,

तुम बिन बेरंग होली है !


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