हम नीदें तुम सपन हमारे
हम नीदें तुम सपन हमारे
हम निंदियाँ तुम सपन हमारे
आते रहना मन के द्वारे
जब भी आते छल छल जाते
मेरे मन को क्यों बहकाते
तपन प्रीत की और बढ़ाते
फिर भी लगते हो तुम प्यारे
आते रहना मन के द्वारे
हम नीदें तुम सपन हमारे।
नदियाँँ बैरन हुई हमारी
शीतल जल ज्यों लगे करारी
मेरी सांसो जैसी भारी
फीके उत्सव हुए हमारे
पर तुम आना मन के द्वारे
हम नीदें तुम सपन हमारे।
कह जाते तो बाट जोहते
झूठे वादे बहुत सोहते
अपने मन को जरा टोहते
जी लेते हम इसी सहारे
कब आओगे मन के द्वारे
हम नीदें तुम सपन हमारे।