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Anjana Chhalotre

Romance

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Anjana Chhalotre

Romance

ये पवन

ये पवन

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पर्वतों पर चाँँदनी बिछने लगी

शीत ऋतु का आगमन है

मेघ मंडराने लगे हैं

घाटियों में पवन निरझर बहने लगी,

मैं अकेली बिन तुम्हारे

एक यादों के सहारे,

आ रही सुमनों पर

मादक फिर बहारें,

उड़ चला संग ले

पराग पवन,

निझरों को बांध पाई

घाटियाँँ क्या

तटों से मुंह जोड़,

करती प्यार नदियाँँ

वनों से इक गंध सी आने लगी है,

पवन संग घर में बिखरने लगी है,

आ भी जाओ आंख भर आने लगी है।





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