माँ तुम आ जाओ पास हमारे घर आगंन का दीप जला, बादलों में क्यूँ छिप जाती हो माँ तुम आ जाओ पास हमारे घर आगंन का दीप जला, बादलों में क्यूँ छिप जाती हो
हवाओं ने छेड़े है मधुरिम तराने यूं लगे मास मधुमास का आ रहा है। हवाओं ने छेड़े है मधुरिम तराने यूं लगे मास मधुमास का आ रहा है।
पर्वतों पर चाँँदनी बिछने लगी शीत ऋतु का आगमन है मेघ मंडराने लगे हैं घाटियों में पवन पर्वतों पर चाँँदनी बिछने लगी शीत ऋतु का आगमन है मेघ मंडराने लगे हैं घाट...
अपनों की रुसवाई भी जब न खटके दुःख सहन करके भी शरीर न थके तब समझिए जीना आ गया। अपनों की रुसवाई भी जब न खटके दुःख सहन करके भी शरीर न थके तब समझिए जीना आ ग...
ऐ परिंदे कभी नीचे आसमान से आ वक्त हो तो घर मेरे किसी शाम को आ, ऐ परिंदे कभी नीचे आसमान से आ वक्त हो तो घर मेरे किसी शाम को आ,
मैं आ रहा हूँ... मैं आ रहा हूँ...