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Laxmi Sharma

Others

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Laxmi Sharma

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ऋतुओं का राजा बसंत

ऋतुओं का राजा बसंत

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हवाओं ने छेड़े है मधुरिम तराने

यूं लगे मास मधुमास का आ रहा है।


वो पंछी की कलरव वो उड़ती पतंगे

गगन आज खुद में ही इतरा रहा है।


वो धरती ने ओढ़ी है सतरंगी चुनर

नवल पुष्पों के देखो गहने सजाए।


वो नदियों का बहना वो झरनों की कलकल

कुमुद ताल में देखो मुस्करा रहा है।


वो आमुआ की डाली पे कोयल निराली

वो अंगना में कागा शगुन गा रहा है।


यूं लगता है संग में लिए मेरे प्रियतम

वो "ऋतुओं का राजा बसंत" आ रहा है।


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