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Laxmi Sharma

Others

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Laxmi Sharma

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बसंत ऋतु आई

बसंत ऋतु आई

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नील गगन में उड़ी पतंगे,

लो बसंत ऋतु आई है।

तरुनाई ने भरी उमंगे,

लो बसंत ऋतु आई है।


डाल के उपर कोयल बोले,

मोर नाचते जंगल में।

बौरों से फुली अमराई,

लो बसंत ऋतु आई है।


कमल कुमुदनी ने खिल करके,

ऐसे ढका सरोवर को।

अवनी ने फिर ली अंगड़ाई,

लो बसंत ऋतु आई है।


रंग बिरंगे पुष्पों से फिर,

धरती ने श्रृंगार किया।

कलियों पर भौरे मंडराए,

लो बसंत ऋतु आई है।


नीले पीले हरे गुलाबी रंग,

उड़े है गलियों में।

ढोल मंजीरे बजे फाग में,

लो बसंत ऋतु आयी है।


पीला कुर्ता पीली धोती,

पीले रंग वाली पगड़ी।

चूनर भी पीली रंगवाई,

लो बसंत ऋतु आई है।


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