Laxmi Sharma
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जब से लगा बसंत है भ्रमर मचाए शोर।
कलियों पर मंडरा रहा कैसी प्रीत की डोर।
कैसी प्रीत की डोर समझ ना पाया कोई।
फिर साजन की याद में गोरी छुप के रोई।
किसी को भाता है ऋतु राज का मौसम प्यारा।
और कहीं तड़पे है कोई बिरह का मारा।
बसंत
बसंत ऋतु आई
मधुमास
ऋतुओं का राजा...
बसंत और सखियो...
आया बसंत
विरह और बसंत
बसंत ऋतु