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Pradeep Singh Chamyal

Romance

4  

Pradeep Singh Chamyal

Romance

उस क्षितिज का क्या हुआ

उस क्षितिज का क्या हुआ

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हम मिले जो तीर अम्बर, तीरे धरा,

तुम बताओ उस क्षितिज का क्या हुआ।

रख दिये थे बोल हमने तेरे अधर पर,

तुम बताओ मीत कि उस गीत का फिर क्या हुआ।


दो नयन, कितने जतन जोड़े खड़े थे,

हम निशा के द्वार सूरज को लड़े थे।

प्रेम की अभिव्यक्ति ने जब स्वर तलाशे,

तुम वहीं पर मौन क्यों बुत से खड़े थे।


हम बहे थे प्रेम में अविरल तरंग से,

उन तरंगों से उठे संगीत का फिर क्या हुआ।


हमनें निभाये सब वचन, हम संग आये,

हमनें तुम्हारे नैन को तीर्थ बनाये।

अश्रु गंगाजल समझ, पलकों धरा,

हम अधर पर चुनके कितने गीत लाये।


प्रीत में डूबे मगन, जो दो नयन,

उन नयन की प्रीत का फिर क्या हुआ।


हमनें जो सींचें प्रेम में वो फूल मुरझे,

मौन संताप की आवाज़ को सब शब्द तरसे।

हम पीर पाकर भी सुखी इस वेदना में

इस व्यथा की क्या कहिन, अब कौन समझे।


पर बताओ, हम मिले जब प्रेम में,

उन पराजित दो हृदय की जीत का फिर क्या हुआ।


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