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Pradeep Singh Chamyal

Drama Tragedy

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Pradeep Singh Chamyal

Drama Tragedy

मैं बेरोजगार हूँ

मैं बेरोजगार हूँ

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मैं बेरोजगार हूँ,

घरवालों की नज़र में निकम्मा,

और समाज की नज़रों में,

बेकार हूँ, मैं बेरोजगार हूँ |


मैं बीच बाज़ार खड़ा हूँ,

हाथ में थामे कुछ डिग्रियाँ,

जिनमें दर्ज आंकड़े बताते हैं,

मैं योग्य उम्मीदवार हूँ।


रोजगार से कोसों दूर,

इस शिक्षा का,आपसे सरोकार हूँ,

मैं बेरोजगार हूँ |


मैं विवश खड़ा हूँ, सुनने को,

अपने ऊपर पड़ते तानों को,

पीठ पीछे होती बातों को,

पड़ोसियों की आँख में,

खटक सा गया हूँ,


जहा खड़ा था, वहीं,

अटक सा गया हूँ,

इन सबसे लड़ने कमजोर सा ही मगर,

तैयार हूँ, मैं बेरोजगार हूँ |






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