आओ प्रिये अब साफ़ कहे
आओ प्रिये अब साफ़ कहे
आओ प्रिये,
अब साफ़ कहे कि प्यार नहीं करना,
क्षणिक क्षुधा थी,
तृप्त हुआ मन,
अब उपवास नहीं करना।
श्यामल होते भाव ह्रदय में,
मन संशय में डूबा हो,
ऐसे कह दो प्यार है तुमसे,
मानो कोई अजूबा हो।
खड़ी इमारत में पानी,
जब बहुत देर जम जाता है,
नींव खोखली हो जाती है,
भवन वही मर जाता है।
क्यों लीपापोती ऊपर से,
क्यों औपचारिकता से मन भरना|
आओ प्रिये,
अब साफ़ कहे की प्यार नहीं करना।,
