तुम लौट आते अगर..
तुम लौट आते अगर..
तुम लौट आते तो दिखाती तुम्हें,
हरी चूड़ियों वाली कलाई, और
बिछिया, महावर, पायलें।
इक रात बालों में सजाकर,
गूंथ लाती लट बनाकर, और
गीत गाती कोयलें।
हाथ मेहंदी में सजाकर,
चाँद गालों में छिपाकर, और
अधर में कोंपलें।
नैन में काजल लगाकर,
मांग सिंदूरी सजाकर, और
गले में हार तेरे नाम के।
तुम अबके लौटे हो मगर, तो ओढ़ लाये हो तिरंगा।
इन तीन रंगों के आगे, सब श्रृंगार फ़ीका पड़ गया।
तुम गए जो छोड़कर, संसार सारा मर गया।