लौट आओ लौट आओ
घर का भेदी लंका ढाये घर का भेदी लंका ढाये
मेरी बातों से कभी तुम मुस्कराते तो कभी, कान पकड़ पहले की तरह समझाओ तुम। मेरी बातों से कभी तुम मुस्कराते तो कभी, कान पकड़ पहले की तरह समझाओ तुम।
वो लौट के आता है अपने संस्कारों से वो लौट के आता है अपने संस्कारों से
रिश्ता इतना दबाओ ना रिश्ता इतना दबाओ ना
लेकिन हम तुम्हारा इन्तजार करेंगे हाँ ,हमारे नयन भीगे रहेंगे तुम्हारी प्रतीक्षा में। लेकिन हम तुम्हारा इन्तजार करेंगे हाँ ,हमारे नयन भीगे रहेंगे तुम्हारी प्रत...