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Anima Das

Others

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लौट आओ

लौट आओ

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लौट आओ

अब तलक शामिल है

दर्द के साथ खलिश भी

वह कह गये

इंतेज़ार की खास पल को

गज़ल बना देना

मैं लौट आऊँगा...

 

दिन गुज़रे

बरसों बीते

आईने की चहरे पर

उदासी की परत उभरे

हरा वसंत

नटखट फागुन

मेरे चुनरी से

रंग उड़ा ले गये

उनकी परछाई को

मन की कान्भास पर उतार ने लगी....

 

रोज़ रेशमी रातें

सजधज कर आती है

सहमी आँखों से

नींद चुरा लेती है

वादियों को अँधेरी छाँव

दे जाती है....

 

मैं ग़ज़लों की तारीफ़ करती हूँ

गुनगुनाती हूँ

वह हर लब्ज में

आप ही समा गये

अब इस पत्थर निगाहों में

रौशनी कहाँ

धुँधली तसवीर से

सवाल किये जा रही हूँ.....

 


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