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Pradeep Singh Chamyal

Drama Romance

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Pradeep Singh Chamyal

Drama Romance

इतना आसान कैसे बना लेती हो !

इतना आसान कैसे बना लेती हो !

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तुम बताओ,

इतना आसान कैसे बना लेती हो ?

मैं रूठ भी जाऊँ, तो मना लेती हो !


क्या तुमको अहम नहीं छूता,

तुम चाँद की सी लगती हो,

जब सूरज ढल जाता है,

तब रात को जलती हो।


क्या रात का जलना ठंडक देता है,

कभी लगता है, तुम समझती हो मुझको,

फिर कभी बिफर पड़ती हो,

तुमको छूने में डर लगता है।


तुम मोम की तरह पिघलती हो,

पर मोम पिघलकर भी मोम हो जाता है,

बताओ ना,

तुम चाँद हो, मोम हो या फिर एक नदी।

तुम कैसे इतना आसान बना लेती हो।


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