"मेरा बसंत खाली"
"मेरा बसंत खाली"
आओ साजन मेरी गली, बसंत भी अब तो आ गया
ना तड़पाओ मान भी जाओ, अब तो बसंत भी आ गया
बसंत ऋतु बड़ी सुहानी, मन को हर लेती है पल में
साजन तुम बिन सब सूना, आ जाओ मेरे घर आँगन में
मन नहीं लगता तुम बिन, अब ना ऐसे तरसाओ
ना तड़पाओ मान भी जाओ, अब तो बसंत भी आ गया
फूल खिल उठे पीले पीले, चित को मेरे घायल करते
पल-पल तुम्हारी याद दिलाते,आँखों मे मेरे आँसू भर आते
ना दिन कटे ना ये रैना, पुकारे तुम्हे मेरे नैना
ना तड़पाओ मान भी जाओ, अब तो बसंत भी आ गया
कहा था तुमने कोयल बोलेगी, पेड़ों पर जब कूहू कूहू
मोर नाचेगें जंगल में, झूम उठेगा सारा उपवन
आओगे तुम पास मेरे, मन के द्वीप जलाओगे
ना तड़पाओ मान भी जाओ,अब तो बसंत भी आ गया
मेरी सहेलियाँ अपने साजन संग खूब हठखेलियाँ करती हैं
मैं रहती हर दम उदास अखियाँ तुम्हें ही ढूंढा करती हैं
फूलों से महक उठा चमन , पर मेरा बसंत है खाली
ना तड़पाओ मान भी जाओ अब तो बसंत भी आ गया
भंवरे गुन गुन करते मेरा जिया जलाते हैं
कलियाँ मंद मंद मुसकाती मेरा उपहास उड़ाती हैं
लगता सब हँसते हैं मुझ पर आ जाओ साजन तुम जल्दी
ना तड़पाओ मान भी जाओ, अब तो बसंत भी आ गया !

