उजाले उनकी यादों के
उजाले उनकी यादों के
घनघोर अँधेरे के बीच मन के रौशनदान से !
उजाले उनकी यादों के औचक ही आने लगे !
मन के गोशे को आहिस्ता-आहिस्ता चमकाने लगे !
देखा उन उजालों के पार तुम ही तुम नज़र आने लगे !
बरसों बाद आज भी वही नूर नज़र आया हमें !
ज़माने की बंदिशों से बावस्ता वही शख्स नज़र आया हमें !
न कुसूर तेरा था न कुसूर मेरा था !
तकदीर का मारा कुछ हिस्सा तेरा था कुछ हिस्सा मेरा था !

