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मधुशिल्पी Shilpi Saxena

Abstract Others

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मधुशिल्पी Shilpi Saxena

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गहराई प्रेम की.....

गहराई प्रेम की.....

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माप न सका ज़माना हरजाई

कहीं फासलों में भी दो दिल एक दूजे के साथ धड़कते

कभी मिलकर खुशियों के रंग इक दूजे के कोरे जीवन में भरते 

कभी रस्मों के बंधन सियाराम सा जीवन जीते 

और कभी राधेकृष्ण सा

बिना रस्म के प्रेम की परिभाषा गढ़ देते 

मेरी मति ने प्रेम की गहराई बस इतनी जानी

भक्ति के प्रेम सागर में डूबकर प्रभु स्वयं भी हर्षित होते


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