मधुशिल्पी Shilpi Saxena
Abstract Inspirational Children
जैसे जल में निहित शीतलता
जैसे अग्नि में ज्वलनशीलता
जैसे धरती की सहनशीलता
जैसे वायु में गतिशीलता
जैसे अंबर की विस्तारशीलता
ऐसे ही मेरे अस्तित्व में निहित
मेरी माँ की आधारशीलता।
हिंदी दिवस
मेरा भारत
माँ
मिट्टी का इंस...
देरी
जब सब बदल जाए
कही अनकही
गहराई प्रेम क...
लेखन
एक जहन में ही तो रखा था तुम्हें उस जहन से भी विदाई दी थी, एक जहन में ही तो रखा था तुम्हें उस जहन से भी विदाई दी थी,
फिर भी जिंदगी की इच्छा हो, मेरे घर को चले आना।। फिर भी जिंदगी की इच्छा हो, मेरे घर को चले आना।।
ऐ दोस्त मेरे कभी कभी तो, पूर्जो को भी धोया जाता हैं।। ऐ दोस्त मेरे कभी कभी तो, पूर्जो को भी धोया जाता हैं।।
चुनाव लड़ रहे एक प्रत्याशी से मेरी मुलाकात हो गई। चुनाव लड़ रहे एक प्रत्याशी से मेरी मुलाकात हो गई।
सोया नही मेरो लला, जागा पूरी वह रात। सोया नही मेरो लला, जागा पूरी वह रात।
चहुँ ओर छाई काली घटा रिमझिम तन मन भीगा रही हैं।। चहुँ ओर छाई काली घटा रिमझिम तन मन भीगा रही हैं।।
नर के इस नृशंस जीवन में ओ पगली! तेरी हर पल ही तो खलती यहां कमी। नर के इस नृशंस जीवन में ओ पगली! तेरी हर पल ही तो खलती यहां कमी।
प्रतिबिंब परछाई की साथ हमेशा रहती प्रतिबिंब परछाई की साथ हमेशा रहती
तब मुझे संसार लाने का विचार क्यों किया? माँ के सुरक्षित गर्भ में स्थान क्यों दिया? तब मुझे संसार लाने का विचार क्यों किया? माँ के सुरक्षित गर्भ में स्थान क्यों ...
वैसे तो सब कुछ पाया पर बेटी होने में खेद है। वैसे तो सब कुछ पाया पर बेटी होने में खेद है।
ऊंट है पहाड़ पर या ऊंट पर पहाड़ है, सच में थोड़ा झूठ या झूठ में सच का छलाव है। ऊंट है पहाड़ पर या ऊंट पर पहाड़ है, सच में थोड़ा झूठ या झूठ में सच का छलाव है...
नहीं छोड़ा फिर भी तुमने, ईमान जिंदगी। इसलिए लिख रहा हूँ, एक दास्तान जिंदगी। नहीं छोड़ा फिर भी तुमने, ईमान जिंदगी। इसलिए लिख रहा हूँ, एक दास्तान जिंदगी।
खुशियों के इस सफर में, गमों ने किया है बसेरा। खुशियों के इस सफर में, गमों ने किया है बसेरा।
गुलाबियत से भरपूर ये फरवरी की सुहानी यादें, लेकर आती है मन में कसक कुछ अधूरे जज़्बातें। गुलाबियत से भरपूर ये फरवरी की सुहानी यादें, लेकर आती है मन में कसक कुछ अधूरे ...
क्यों सब जैसा बनाना है अपने जैसा बनाना बुरा है क्या क्यों सब जैसा बनाना है अपने जैसा बनाना बुरा है क्या
जो गुजरा बस सुखमय होकर, ऐसा मेरा कल है मां। जो गुजरा बस सुखमय होकर, ऐसा मेरा कल है मां।
कटी पतंग सी खड़ी। भीगी पलकें। सवालों पर सवाल। तलाशती जवाब। कटी पतंग सी खड़ी। भीगी पलकें। सवालों पर सवाल। तलाशती जवाब।
कठिन श्रम से बदल देते अपनी तकदीर। क्यों नहीं दिखा देते श्रम जाया नहीं जाता है। कठिन श्रम से बदल देते अपनी तकदीर। क्यों नहीं दिखा देते श्रम जाया नहीं जात...
सफ़र ही सफ़र राह में मंज़िल नही है। ग़म के सिवा कुछ भी हासिल नही है। सफ़र ही सफ़र राह में मंज़िल नही है। ग़म के सिवा कुछ भी हासिल नही है।
क्या ईमानदारी वाली बेईमानी बची है, अब तो केवल कमाने की होड़ बची है, क्या ईमानदारी वाली बेईमानी बची है, अब तो केवल कमाने की होड़ बची है,