कही अनकही
कही अनकही
कही अनकही बातें वो
हमारी आँखों की गहराई से समझ लेते
लेकिन तकदीर मे है मीलों की जुदाई
इसीलिए इल्तिजा है उनसे
पढ़ लो न शब्दों मे छिपी गहराई
हो सके तो कोशिश करना
अल्फ़ाज़ों को सुनकर समझने की
बाँधने लगी है कशिश तुम्हारी
अनजाने ही इस रुह को.